राजस्थान के कुछ गांवों में 18 से 20 रुपए में मिलने वाला एक किलो नमक अब 100 रुपए में मिल रहा है। वजह यह है कि यहां लोगों ने अफवाह फैला दी है कि नमक के पानी को ORS की तरह पीने से कोरोना नहीं होता और कोरोना से जान गंवाने का अंतिम संस्कार नमक डालकर किया जाए तो कोरोना नहीं फैलेगा।
कुछ गांव ऐसे हैं, जहां अफवाहें तो नहीं हैं, लेकिन लोगों के सामने रोजगार का भी संकट है। विदेशों से लौटे कई शेफ गांवों में अब खेती कर रहे हैं।
1. अप्रैल के पहले सप्ताह तक बूंदी के 80% गांव सुरक्षित थे
- बूंदी से अजय कुमार और अश्विनी शर्मा की रिपोर्ट
जिले के तकरीबन 80% गांवों तक अप्रैल के पहले हफ्ते में कोरोना ने दस्तक नहीं दी थी। इसके बाद लोगों की मौत होने लगी तो शव सीधे ही गांवों में भेजे जाने लगे। हालांकि, इस दौरान शवों को PPE किट या फिर प्लास्टिक में पैक किया जाता था, लेकिन लोग अक्सर इसे अंतिम क्रिया के लिए खोल देते या PPE किट इतना हल्का होता था कि जैसे ही शव को उठाते किट फट जाता था।
इसका नतीजा यह हुआ कि देखते ही देखते गांव में संक्रमण तेजी से फैलने लगा। अब हालात ऐसे हैं कि जिले में केवल 70 से 75 गांव ही कोरोना से बचे रह पाए हैं। हिंडोली, बूंदी, नैनवा में कोरोना के मामले तेजी से बढ़े हैं।
विश्व हिंदू परिषद के जिला उपाध्यक्ष महेश जिंदल बताते हैं कि बूंदी जिला मुख्यालय के मुक्तिधामों में शवों का सही तरीके से अंतिम संस्कार हो, इसलिए विहिप ने ही जिम्मा उठा लिया। नगर परिषद से लड़-झगड़कर किसी तरह लकड़ियों की व्यवस्था करवाई, लेकिन प्रशासन की ओर से शव सीधे ही ग्रामीण क्षेत्र में परिजनों को दिए जाने लगे।
ज्यादातर गांवों में लोगों को अंतिम संस्कार में उपयोग के लिए PPE किट तक नहीं दिए जाते हैं। जिंदल ने बताया कि उनकी मौजूदगी में पिछले 20 दिनों में हिंडोली में दो, नैनवा में दो, पाटन में दो कोरोना पॉजिटिव के शव सीधे ही परिजनों को दिए गए, जबकि उनका अंतिम संस्कार मुख्यालय पर ही मुक्तिधाम में प्रोटोकॉल के तहत किया जा सकता था।
हिंडोली निवासी सतीश कुमार ने बताया कि जिला अस्पताल की तरफ से उनके पिता का शव उन्हें PPE किट में लपेट कर दिया गया था, लेकिन जैसे ही शव उठाया तो किट फट गया।
नमक को इम्यूनिटी के लिए कारगर कहते हैं लोग
यहां पर ग्रामीण क्षेत्रों में अजीब अफवाहों का दौर भी चल रहा है। कहीं पर यह अफवाह चल रही है कि कोरोना से मृत व्यक्ति का अंतिम संस्कार नमक के साथ किया जाए तो कोरोना नहीं फैलता। कहीं यह कहा जा रहा है कि ORS की तरह बिना चीनी के नमक का घोल पीने से कोरोना नहीं फैलता।
इस कारण मोहनपुरा, मंगाल और यहां आसपास की ढाणियों सहित ठेठ ग्रामीण इलाकों में नमक 100-100 किलो में भी बेचा जा रहा है। भास्कर ने यहां ग्रामीणों से बात करने की कोशिश भी की। नमक के कट्टे भरकर ले जाते समय जैसे ही फोटो खींचा तो कई ग्रामीण तो मौके से भाग गए।
रोज 4 से 5 लोग मर रहे
बूंदी के CMHO डॉ. महेंद्र त्रिपाठी के मुताबिक, चिकित्सा विभाग की ओर से बूंदी में अब तक कोरोना से 31 लोगों की मौत हुई है। इनमें बूंदी शहर में 17 और बाकी ब्लॉक में मिलाकर 14 मौतें ही बताई जा रही हैं। हालात ऐसे हैं कि मुख्यालय के मुक्तिधाम में ही रोजाना 4 से 5 शव आ रहे हैं।
मास्क नहीं होने पर टी-शर्ट से ही नाक ढंका
भीलवाड़ा बॉर्डर की तरफ से शुरू हुए गांव नीम का खेड़ा, गुढा नाथावतान, जाटों का राम नगर, आदर्श राम नगर, हट्टीपुरा, मंगाल, मोहनपुरा, विशनपुरा, काठी, अस्तौली, खेरूणा, कांजली सिलोर, रघुवीर पुरा, बांगा माता, गरारा जैसे गांव से होकर भास्कर टीम गुजरी तो देखा कि यहां पर लगभग हर गांव में चौराहों पर लोग बिना मास्क और बिना सोशल डिस्टेंसिंग के नजर आ रहे थे। हमें देखकर कुछ लोग मास्क नहीं होने की वजह से अपने टीशर्ट से ही मुंह ढंकने लगे।
2. गांवों के 10 हजार में से 5 हजार युवा विदेशों में कुक
- उदयपुर से चंद्रशेखर गुर्जर, अजय कुमार और छगन मेनारिया की रिपोर्ट
उदयपुर जिले की वल्लभनगर तहसील के मेनार, रुंडेडा, खरसान, बाठरड़ा खुर्द जैसे गांवों के कोई 10 हजार से ज्यादा लोग कुवैत, ओमान, लन्दन, मस्कट, दुबई, यूरोप, बेल्जियम, अमेरिका, सऊदी अरब, केन्या में शेफ हैं। इनमें से कई मैकडॉनल्ड में काम करते हैं तो कुछ अरबपतियों के घरों में खाना बनाते हैं।
अभी इनमें से आधे लोग गांव आए हुए हैं। कोरोना ने इनकी नौकरी छीन ली है। गांवों में ये शेफ खेती कर रहे हैं। इन गांवों में 70 से 90% लोग कुक हैं, लेकिन शेफ की डिग्री 20-25% लोगों के पास ही है।
गांवों की रसोइयों में अरबी डिश के पकवानों की महक से गांव सुबह-शाम महकते हैं। मेनार के कुक राजेन्द्रकुमार बताते हैं कि घर की रसोई में ज्यादातर महिलाओं की जगह पुरुष खाना बनाते हैं। छोले से बनने वाली अरबी डिश अमुस-खमुस, फजेता, पनीर चिल्ली, आम की कढ़ी, कई तरह के स्टार्टर बना रहे हैं।
मेनार गांव के हुक्मीचंद मेनारिया 10 साल से दुबई में शेफ रहे हैं। पिछले साल लॉकडाउन में घर आए तो वापस जा नहीं पाए। वे बताते हैं कि दिनभर में 8-10 जगहों पर खाना बनाकर महीने का एक लाख रुपए बचा लेते थे, लेकिन अभी वहां जाने के लिए बिजनेस क्लास वीजा ही मिल पा रहा है। वहां की सरकार नॉर्मल वीजा वालों को परमिशन देगी, तभी जा पाएंगे। तब तक वे गांव में खेती कर रहे हैं।
हुक्मीचंद मेनारिया दुबई में शेफ थे। अब गांव में खेती कर रहे।
गांव के मुकेश कमावत भी दुबई में शेफ हैं। मार्च में कोरोना ज्यादा बढ़ा तो गांव आना पड़ा। मुकेश बताते हैं कि कुछ दिन गांव के पास ही एक रेस्टोरेंट पर काम किया, लेकिन अब यह भी बंद हो गया है। अब तो कोरोना खत्म होगा, तभी वापस विदेश जा सकेंगे। शेफ के लिए प्रसिद्ध गांव मेनार में 54 कोरोना पॉजिटिव हैं।
लंदन में हिंदुजा, मित्तल ग्रुप के यहां कुकिंग कर चुके रुंडेडा के शेफ वरदीचंद मेनारिया कोरोनाकाल के बाद से गांव में ही है। उन्हें वीजा मिल चुका है। दो-तीन दिन बाद लंदन लौट रहे हैं।
गांव में कोरोना बढ़ा तो अमेरिका जा रहे
बाठरड़ा खुर्द के रहने वाले भगवतीलाल जोशी का परिवार 50 साल से अमेरिका रह रहा है। उनकी नागरिकता भी वहीं की है। वहां कोरोना बढ़ने पर जनवरी में गांव आ गए थे, लेकिन अब गांव में कोरोना बढ़ गया और अमेरिका में ज्यादा संक्रमण नहीं है। ऐसे में वापस वहां जाने की टिकट बुक करवा ली है।
3. गांव में लोगों ने ही लगाया 2 दिन का लॉकडाउन
- चूरू से यादवेंद्र सिंह राठौड़ की रिपोर्ट
चूरू जिले की दूसरी सबसे बड़ी ग्राम पंचायत पड़िहारा के सरपंच जगजीत सिंह राठाैड़ और भामाशाहाें ने कोरोना से लड़ने के लिए अपने स्तर पर एक्शन प्लान बनाया है। 15 हजार की आबादी वाली ग्राम पंचायत में सरपंच-पंचाें, कारोबारियों और आम लोगों ने मिलकर गांव में 4 दिन का लॉकडाउन लगाया। इस दौरान डेयरी काे छाेड़कर सब्जियाें की दुकानें भी नहीं खाेली गईं। भीड़ न जुटे, इसके लिए कार्यकर्ता लगाए।
भामाशाहाें ने ऑक्सीजन सिलेंडर, ऑक्सीजन कंसंट्रेटर, एंबुलेंस की व्यवस्था की। युवाओं की टीम बनाकर जीप और बाइक से गश्त दी। गांव में अभी तक कोरोना से 10 लोगों की मौत होने के बाद यह कदम उठाए गए।
भामाशाहाें ने ऑक्सीजन सिलेंडर, ऑक्सीजन कंसंट्रेटर, एंबुलेंस की व्यवस्था की। युवाओं की टीम बनाकर जीप और बाइक से गश्त दी।
भामाशाह अभी तक 10 लाख रुपए से ज्यादा योगदान दे चुके हैं
गांव से बाहर कारोबार कर रहे लोगों ने अब तक 10 लाख रुपए से ज्यादा खर्च कर दिए हैं। सरपंच जगजीतसिंह राठाैड़ और विमल काेठारी कहते हैं कि हेमराज दायमा ने CHC में 8 लाख रुपए की एंबुलेंस देने की घाेषणा की है।
अभी वैन में ऑक्सीजन सिलेंडर रखकर उसे एंबुलेंस के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है। तीन ऑक्सीजन कंसंट्रेटर दान मिले हैं, जो सरकारी कम्युनिटी हेल्थ सेंटर के वार्ड में लगाए गए हैं। तीन ऑक्सीजन कंसंट्रेटर और मंगवाए गए हैं।
ऑक्सीजन सिलेंडर व कंसंट्रेटर घर के लिए भी दिया जा रहा है। गांव के मुख्य बाजार में दाे बार साेडियम हाइपाेक्लाेराइड का छिड़काव करवाया गया है। सूरजमल श्रीदेवी ट्रस्ट ने मेडिकल किट दिए हैं। वहीं, चैनरूप वैध और अनीष वैध की टीम गांव के मरीजाें काे दवाई की किट बांट रही है। गांव में हर साेमवार से शुक्रवार तक सुबह सैंपल लेकर वैन से रतनगढ़ भिजवा रहे हैं।
गांव के चाराें रास्ताें पर बैरिकैडिंग, बाहरी लाेगाें के प्रवेश पर राेक
रतनगढ़ की भरपालसर ग्राम पंचायत में सरपंच दातारसिंह और ग्रामीणाें की सूझबूझ से महामारी पर 20 दिन में काफी हद तक नियंत्रण पा लिया गया है। गांव में अब सिर्फ 4-5 काेविड पाॅजिटिव ही हैं। मरीजाें काे रतनगढ़, चूरू व बीकानेर ले जाने के लिए सरपंच ने तीन वाहन लगा रखे हैं।
प्रवासियों ने दिए ऑक्सीजन कंसंट्रेटर
सरदारशहर कस्बे में ऑक्सीजन की कमी के चलते अपने ग्रामीणाें काे बचाने के लिए प्रवासी लोग आगे आकर प्रशासन का सहयोग कर रहे हैं। दिल्ली में रहने वाले HFCL के मैनेजिंग डायरेक्टर महेंद्र नाहटा ने 20 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर दिए हैं। प्रवासी जुगल किशोर बैद ने 10 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर SDM को भेजे हैं।
मंदिर, मस्जिदों से दोनों समय लाउडस्पीकर से कर रहे अपील
पडिहहारा ग्राम पंचायत, भरपालसर और देपालसर आदि गांवों में मंदिरों और मस्जिदों से सुबह-शाम लाउड स्पीकर से घर से बाहर नहीं निकलने और कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करने की अपील की जा रही है।