भोपाल। राज्य और केंद्र सरकार के रिकाॅर्ड में पिछले एक साल में कोरोना से प्रदेश में कुल 5424 मौत होना दर्ज है, लेकिन प्रदेश के 19 जिलों में पिछले 15 दिन में कोविड प्रोटोकॉल के तहत पांच हजार से ज्यादा अंतिम संस्कार हो चुके हैं। यह खुलासा प्रदेश के अलग-अलग जिलों के मुक्तिधामों से भास्कर रिपोर्टर्स द्वारा जुटाए आंकड़ों से हुआ है, जिसके रिकॉर्ड भास्कर के पास उपलब्ध हैं। भास्कर ने प्रदेशभर के मुख्य मुक्तिधामों का प्रबंधन देखने वाली संस्थाओं से संपर्क कर वहां सामान्य और कोविड प्रोटोकॉल से हुए अंतिम संस्कारों की पड़ताल की। इसमें 19 जिलों के मुक्तिधामों की ओर से हमें आंकड़े उपलब्ध कराए गए हैं।
दरअसल, स्वास्थ्य विभाग का दावा है कि मार्च 2020 से 28 अप्रैल 2021 तक पूरे प्रदेश में 5424 लोगों की कोरोना से मौत हुई है, जबकि मुक्तिधामों का रिकॉर्ड बताता है कि इस महीने 11 से 25 अप्रैल के बीच 19 जिलों में कुल 12389 अंतिम संस्कार किए गए हैं। इनमें से 5484 मृतकों का अंतिम संस्कार कोविड प्रोटोकॉल से हुआ है। इस अवधि में अकेले भोपाल में ही 1663 मृतकों का अंतिम संस्कार कोविड प्रोटोकॉल से किया गया है, जो प्रदेश में सबसे ज्यादा है।
15 दिन में 19 जिलों में 12389 अंतिम संस्कार
(इस प्रकार 11 अप्रैल से 25 अप्रैल के बीच कुल 12389 अंतिम संस्कार हुए।)
नेशनल सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल (एनसीडीसी) के मुताबिक मप्र में केस फेटेलिटी रेट (सीएफआर) 1.2 है। यानी कोरोना से संक्रमित होने वाले हर 1000 मरीजों में से 12 की जान जा रही है। सरकारी रिकाॅर्ड के मुताबिक प्रदेश में सर्वाधिक 1123 मौतें इंदौर में और 729 भोपाल में होना दर्ज है।
टूटतीं परम्पराएं, अस्थियां लेने भी नहीं आ रहे परिजन
संक्रमण के डर से अंतिम संस्कार के बाद कई परिवार मृतकाें की अस्थियां लेने भी नहीं आ रहे हैं, इसलिए उनके नाम की एंट्री भी रिकाॅर्ड में नहीं हाे पा रही है।
-रंजीत मेवाती, सेवादार, धार नगर मुक्तिधाम
अब तो हर दिन यहां कोविड प्रोटोकॉल से अंतिम संस्कार हो रहे हैं, इसलिए कोरोना पॉजिटिव के अंतिम संस्कार के लिए अलग से एक वेदी बनवा दी है। दो ट्रक अतिरिक्त लकड़ियां भी मंगवाना पड़ी हैं।
-नीरज राठौर, सदस्य, गैल मुक्तिधाम समिति, झाबुआ
कोविड प्रोटोकॉल से रोजाना 8 से 10 अंतिम संस्कार हो रहे है। मुक्तिधाम में वैसे तो रिकाॅर्ड रखने की व्यवस्था नहीं है, लेकिन कोविड प्रोटोकॉल की जानकारी अधिकारियों को देते हैं। आजकल अफसर ही इसका रिकाॅर्ड रखते हैं।
-राजा, कर्मचारी, बड़वानी मुक्तिधाम