पूर्व आरबीआई गवर्नर बोले- आजादी के बाद सबसे बड़ा संकट, सारे काम पीएमओ केंद्रित न हों; विपक्ष के अनुभवी नेताओं की मदद ले सरकार

Posted By: Himmat Jaithwar
4/6/2020

नई दिल्ली. आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने सरकार को सुझाव दिया है कि कोरोनावायरस से निपटने के लिए सरकार को ऐसे लोगों की मदद लेनी चाहिए जो एक्सपर्ट हों। इनमें विपक्षी दलों के लोग भी शामिल किए जाएं। राजन ने कहा है कि आजादी के बाद भारत आर्थिक रूप से शायद सबसे बड़ी इमरजेंसी का सामना कर रहा है।
'वैश्विक आर्थिक संकट के वक्त हमारा वित्तीय सिस्टम मजबूत था'
राजन ने चेतावनी दी है कि प्रधानमंत्री कार्यालय के पहले से ही काम के बोझ से दबे लोगों से ही सब कुछ करवाना ज्यादा असरदार नहीं होगा। बल्कि, विपक्ष के उन लोगों की भी मदद लेनी चाहिए जिन्हें वैश्विक आर्थिक संकट जैसे हालातों से निपटने का अनुभव है। 2008-09 के ग्लोबल फाइनेंशियल क्राइसिस के वक्त डिमांड में भारी कमी आई थी, लेकिन हमारी  कंपनियों की ग्रोथ साल दर साल मजबूत होती रही। हमारा फाइनेंशियल सिस्टम भी मजबूत था, लेकिन अब ऐसा नहीं है, क्योंकि हम कोरोनावायरस से लड़ रहे हैं।
'वायरस के ज्यादा से ज्यादा टेस्ट होने चाहिए'
राजन ने कहा है कि देश के संसाधनों और शक्तियों का इस्तेमाल कर सही समाधान और प्राथमिकताएं तय करने से कोरोनावायरस को हराया जा सकता है। साथ ही भविष्य के लिए नई उम्मीदों का मंच तैयार किया जा सकता है। ऐसी कोशिशों से कोरोनावायरस के आर्थिक असर से भी रिकवर हो सकते हैं। इस वक्त सबसे जरूरी यह है कि ज्यादा से ज्यादा टेस्टिंग कर वायरस को फैलने से रोका जाए। क्वारैन्टाइन और सोशल डिस्टेंसिंग को सख्ती से फॉलो किया जाए।
'लॉकडाउन के बाद की योजना बनाने का वक्त'
राजन का सुझाव है कि अब लॉकडाउन के बाद की योजना बना लेनी चाहिए कि वायरस का असर खत्म नहीं होता है तो क्या करेंगे? देश को लंबे समय तक पूरी तरह लॉकडाउन रखना मुश्किल होगा। इसलिए हमें सोचना चाहिए कि सावधानी रखते हुए कम संक्रमण वाले इलाकों में कुछ गतिविधियां कैसे शुरू कर सकते हैं। वर्कप्लेस के पास हॉस्टलों में रहने वाले स्वस्थ युवाओं से इसकी शुरुआत हो सकती है।
'राहत के उपायों के साथ वित्तीय संसाधनों का भी ध्यान रखा जाए'
राजन का मानना है कि इस वक्त गरीब और नॉन-सैलरीड मिडिल क्लास का ध्यान रखना जरूरी है। डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर का फायदा सभी को नहीं मिल पाएगा क्योंकि, जो रकम ट्रांसफर की जा रही है वह एक महीने के लिए पर्याप्त नहीं लग रही। राजन ने इंडस्ट्री की बात करते हुए कहा कि कई छोटे और मध्यम कारोबारी पहले ही दिक्कतें झेल रहे हैं, उनके पास पर्याप्त संसाधन नहीं हैं। इनमें से सभी को बचाना संभव नहीं, क्योंकि वित्तीय संसाधन सीमित हैं और बजट का भी ध्यान रखना होगा। गैर-जरूरी खर्च बंद करने होंगे। राजन का सुझाव है बड़ी कंपनियां अपने छोटे-छोटे सप्लायर की मदद कर सकती हैं।



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