महात्मा गांधी की पौत्रवधू शिवालक्ष्मी का निधन, गरीब बच्चों से ऐसा लगाव, उनकी शिक्षा के लिए छोड़ गईं 12 करोड़

Posted By: Himmat Jaithwar
5/9/2020

अहमदाबाद. महात्मा गांधी की पौत्रवधू शिवालक्ष्मी (94) का निधन हो गया है। नासा में 25 साल तक वैज्ञानिक रहे गांधी जी के पौत्र कनुभाई गांधी की पत्नी शिवालक्ष्मी ने गुरुवार रात अंतिम सांस ली। एक सप्ताह पहले तबीयत खराब होने पर पिपलोद के ग्लोबल अस्पताल में दाखिल गया था। कनुभाई के साथ शिवालक्ष्मी 2013 में अमेरिका से भारत आई थीं। वे दोनों सूरत शहर के भीमराड गांव में पिछले कुछ सालों से रह रही थीं। कनुभाई का 2016 में निधन हो गया था। शिवालक्ष्मी का उमरा में अंतिम संस्कार किया गया। हालांकि कोरोना के कारण उनकी यात्रा में बहुत कम लोग ही शामिल हो सके। पति की मौत के बाद शिवालक्ष्मी अलग-अलग आश्रम में रहीं। बाद में भीमराड गांव में रहने लगी। यहां वह पूर्व सरपंच बलवंत ने उनको एक फ्लैट में रखकर उनकी सेवा में जुट गए। 
2016 में उनके पति कनूभाई की सूरत में ही मौत हुई थी : महात्मा गांधी के तीसरे नंबर के बेटे रामदास की दो बेटी सुमित्राबेन और उषाबेन और एक बेटा कनूभाई देसाई थे। कनूभाई विवाह के कुछ समय बाद ही वे अमेरिका चले गए थे। 2013 में कनूभाई पत्नी शिवालक्ष्मीबेन के साथ भारत लौटे थे। उनकी कोई संतान नहीं थी। शुरू में दिल्ली, बेंगलुरु और मरोली आश्रम रहे। बाद में पत्नी के साथ सूरत के श्री भारती मैया आनंदधाम वृद्धाश्रम में आ गए थे। 
जीवनभर की पूंजी शिक्षा, स्वास्थ्य और महिलाओं के कल्याण में लगा दिया : सूरत में शिवालक्ष्मी कनूभाई रामदास गांधी चेरिटेबल ट्रस्ट बनाया। जिसमें जीवनभर की पूंजी शिक्षा, स्वास्थ्य, महिला एवं बाल कल्याण तथा गांधी विचार-धारा के प्रचार-प्रसार के लिए समर्पित कर दी। दोनों की इच्छा अहमदाबाद के गांधी आश्रम में रहने की थी। 1930 में दांडी नमक सत्यागृह के दौरान गांधीजी की छड़ी पकड़े हुए बच्चे की तस्वीर काफी लोकप्रिय हुई था। छड़ी पकड़े बालक कनूभाई गांधी थी।

उनकी संपत्ति गरीब बच्चों की शिक्षा पर खर्च की जाएगी
वे अपने पीछे 12 करोड़ से ज्यादा की संपत्ति छोड़ गईं। यह संपत्ति उनके ट्रस्ट द्वारा गरीब बच्चों की शिक्षा पर खर्च की जाएगी। इसके उन्होंने डॉ. शिवालक्ष्मी एंड कनू रामदास मोहनदास गांधी चेरिटेबल ट्रस्ट बनाया था। वे इसकी चेयरपर्सन थी। शिवालक्ष्मी ने रजिस्टर्ड विल बनवाई थी। उनकी यही इच्छा थी कि गरीब बच्चों को अच्छी और उच्च शिक्षा मिले।



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