मां घर पर बेटी का इंतजार करती रही, पुलिस शव सीधे श्मशान ले गई, बाद में परिवार वालों को ले जाकर अंतिम संस्कार करवा दिया

Posted By: Himmat Jaithwar
1/22/2021

भोपाल। पिछले साल उत्तर प्रदेश में हुए हाथरस दुष्कर्म कांड की पीड़िता के साथ पुलिस व प्रशासन ने जैसी बेरहमी की थी, ठीक उसी तरह भोपाल में प्यारे मियां यौन शोषण केस की शिकार नाबालिग बेटी और उसके परिवार के साथ की गई। इस बेटी की ज्यादा मात्रा में नींद की गोलियां खा लेने के बाद बुधवार को मृत्यु हो गई थी। गुरुवार को पुलिस की निगरानी में दोपहर 1:30 बजे उसका भदभदा विश्राम घाट पर अंतिम संस्कार किया गया।

यह नाबालिग इस केस में पीड़िता और फरियादी थी, न कि आरोपी या अपराधी। फिर भी पुलिस शव को हमीदिया से सीधे श्मशान ले गई। पीड़िता की मां और परिजन घर पर बेटी के शव का इंतजार करते रहे, लेकिन पुलिस उन्हें शव सौंपना ही नहीं चाहती थी। मर्चुरी में पीड़िता के चाचा और पिता ने शव घर ले जाने की जिद की।

इस बीच बैरागढ़ एसडीएम मनोज उपाध्याय ने हमीदिया पहुंचकर परिजनों को दो लाख रु. का चेक दिया। इसके बाद माहौल बिगड़ता देख हबीबगंज सीएसपी भूपेंद्र सिंह ने पिता व चाचा को शव वाहन में बैठाकर विश्राम घाट भेज दिया। बाद में क्राइम ब्रांच की एक टीम घर पहुंची और वहां से मृतका की मां और कुछ महिलाओं को गाड़ी में बैठाकर विश्राम घाट ले आई।

मां ने जब बेटी के शव को देखा तो वे स्तब्ध रह गईं। उनकी आंखें खुलीं थीं और जुबां थमी हुई थी। थोड़ी देर बाद वह बेहोश हो गईं। बाद में चेहरे पर पानी के छींटे छिड़के, तब उन्हें होश आया। दरअसल, बुधवार को बेटी की मौत की खबर मां को इसलिए नहीं दी गई थी कि कहीं उन्हें सदमा न लग जाए।

पीड़िता का नाम सार्वजनिक नहीं कर सकते : मामले की जांच से संबंधित एक बयान भोपाल कलेक्टर अविनाश लवानिया ने मीडिया सेल के जरिए जारी किया था, पर यह उनके ऑफिशियल पेज पर भी अपलोड हो गया। इसमें मृतका का नाम था, जो सार्वजनिक हो गया।

पहचान उजागर हो जाने के बाद हंगामा मच गया, क्योंकि क्योंकि किशाेर बाल अधिनियम 2015 की धारा 74 के अनुसार किसी भी बालिका का नाम या किसी भी तरह की पहचान को सार्वजनिक नहीं किया जा सकता है। इस मामले में जब कलेक्टर से बात की तो उन्होंने कहा कि नाम सार्वजनिक करने का सवाल ही नहीं उठाता। यह जानकारी जिस कर्मचारी ने भी अपलोड की, उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

मामले की सीबीआई जांच की मांग : मां ने महिला थाना प्रभारी अजिता नायर, बाल कल्याण समिति के कृपा शंकर चौबे और बालिका गृह की अधीक्षिका अंतोनिया पर बेटी को जबरन गोलियां खिलाने का आरोप लगाया। उन्होंने मुख्यमंत्री से सीबीआई जांच की मांग की।

पुलिस ने खुद तैयार की अर्थी

विश्राम घाट पर पुलिस ने पूरी व्यवस्था कर रखी थी। रिश्तेदार चीखते रहे कि इतनी भी जल्दी क्या है, लेकिन पुलिस नहीं मानी। महिला रिश्तेदारों ने दो बार अर्थी तैयार नहीं होने दी, पर क्राइम ब्रांच टीम ने खुद इसे तैयार किया।

बेटी को रीति-रिवाज से विदा करना चाहती थी, लेकिन पुलिस ने यह हक भी हमसे छीन लिया

मेरी बेटी की क्या गलती थी, जो पुलिस व प्रशासन ने उसके साथ अपराधी जैसा व्यवहार किया। बेटी अस्पताल में तड़पती रही, तो भी हमें उससे नहीं मिलने दिया। हम उसकी शादी के सपने संजो रहे थे और हमारे सपने ही उजड़ गए। बेटी को वैदिक रीति-रिवाज के साथ हम विदा नहीं कर पाए।

-जैसा पीड़िता की मां ने भास्कर को बताया

सीधी बात: सब परिजनाें की सहमति से किया, हाथरस जैसी बात नहीं

सवाल : शव घर क्याें नहीं ले गए?

- शव कहां ले जाना है, यह परिजनाें की सहमति पर तय किया।

सवाल : परिजनाें काे जबरन कार में बैठाकर श्मशान घाट क्यों लाए?

- परिजनाें को श्मशान तक लाने के लिए बस की व्यवस्था की गई थी। ऐसा कानून व्यवस्था काे देखते हुए किया गया।

सवाल : पुलिस का रवैया हाथरस जैसा था?

-ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। यहां सभी की सहमति ली गई है।

सहेली की मौत का तनाव: बालिका गृह में फिर बिगड़ी दो लड़कियों की तबीयत

प्यारे मियां यौन शोषण केस की शिकार दो और लड़कियों की तबीयत खराब हो गई है। दोनों को गुरुवार शाम जेपी अस्पताल में भर्ती कराया गया। एक की आंखों में तनाव की वजह से खून उतर आया है, जबकि दूसरी के मलद्वार से खून आ रहा है।

ये दोनों उसी बालिका गृह में रहती हैं, जहां इसी मामले की एक अन्य पीड़िता की बुधवार को मौत हुई है। बालिका गृह के सूत्रों ने बताया कि नाबालिग की मौत के बाद चारों लड़कियां तनाव के दौर से गुजर रही हैं। इसमें से दो नाबालिग को ज्यादा समस्या हो गई।



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