भाजपा-कांग्रेस हेडक्वार्टर एक ही सड़क पर, लेकिन कांग्रेस ने अपने मुख्यालय के पते से दीनदयाल उपाध्याय मार्ग हटा कोटला रोड कर दिया है

Posted By: Himmat Jaithwar
4/5/2021

दिल्ली के दीनदयाल मार्ग पर दो बड़ी राष्ट्रीय पार्टियों के दफ्तर होंगे। भाजपा का भव्य दफ्तर दो साल पहले 2018 में ही तैयार हो गया था, जबकि कांग्रेस कार्यालय में काम अभी चल रहा है। माना जा रहा है कि कांग्रेस ऑफिस के बनने में अभी डेढ़-दो साल और लगेंगे। जानकार बताते हैं कि 'भाजपा-कांग्रेस दोनों कार्यालयों की नींव 2016 में थोड़े समय के अंतर में ही रखी गई थीं। भाजपा ऑफिस का काम बहुत तेजी से हुआ, जबकि कांग्रेस की सुस्ती और लेटलतीफी के कारण काम अभी तक चल रहा है।'

यह भी संयोग ही है कि भाजपा-कांग्रेस दोनों के मुख्यालय ऐसी सड़क पर हैं, जिसका नाम भाजपा के वैचारिक आदर्श दीनदयाल उपाध्याय के नाम पर है। लेकिन दोनों पार्टियों ने अपने दफ्तर का जो पता तय किया है, वह खासा दिलचस्प है और दोनों के राजनीतिक विचार में अंतर भी बताता है। भाजपा के दफ्तर का नया पता है- '6 A, दीनदयाल उपाध्याय मार्ग'। लेकिन उसी सड़क पर स्थित अपने दफ्तर के लिए कांग्रेस ने पता तय किया है- '9, कोटला रोड'। दरअसल, कांग्रेस के दफ्तर के दो गेट में से एक दीनदयाल मार्ग पर खुलता है तो दूसरा कोटला रोड पर। कांग्रेस ने दूसरे द्वार को अपना नया पता घोषित किया है। इसकी वजह यह बताई जाती है कि आखिर कांग्रेस हेडक्वार्टर का पता भाजपा के किसी वैचारिक पुरुष के नाम पर कैसे हो सकता है।

भूपेंद्र यादव और पीयूष गोयल की निगरानी में तैयार हुआ भाजपा दफ्तर

लाल पत्थरों से बना 70 कमरों वाला भाजपा का भव्य दफ्तर किसी ऐतिहासिक इमारत की तरह दिखाई देता है।
लाल पत्थरों से बना 70 कमरों वाला भाजपा का भव्य दफ्तर किसी ऐतिहासिक इमारत की तरह दिखाई देता है।

भारतीय जनता पार्टी का दफ्तर फरवरी, 2018 में बनकर तैयार भी हो गया। अमित शाह जब बीजेपी के अध्यक्ष थे तब भूपेंद्र यादव और पीयूष गोयल को दफ्तर के काम की निगरानी की जिम्मेदारी दी गई थी। दोनों की देखरेख में यह रिकार्ड समय में तैयार किया गया। लाल पत्थरों से बना 70 कमरों वाला भाजपा का भव्य दफ्तर किसी ऐतिहासिक इमारत की तरह दिखाई देता है। इस इमारत की सबसे ऊपरी मंजिल से स्काई लाइन में जामा मस्जिद और लाल किला का एरिया भी थोड़ा बहुत दिखता है।

ये दीनदयाल मार्ग स्थित भाजपा का दफ्तर है। जो तीन साल पहले ही 2018 में बनकर तैयार हो गया था।
ये दीनदयाल मार्ग स्थित भाजपा का दफ्तर है। जो तीन साल पहले ही 2018 में बनकर तैयार हो गया था।

अहमद पटेल के निधन के बाद और धीमा पड़ा कांग्रेस दफ्तर का काम

कांग्रेस के दफ्तर का काम फिलहाल सुस्त रफ्तार से चल रहा है। दिवंगत कांग्रेस नेता अहमद पटेल पार्टी पहले ऑफिस बनने का काम देख रहे थे। तब काम थोड़ी तेजी से चल रहा था। पार्टी सूत्र बताते हैं कि अहमद पटेल अस्पताल में आखिरी दिनों में भी पार्टी गतिविधियों के अलावा जिस चीज का अपडेट लेते थे, वह कांग्रेस का निर्माणानधीन दफ्तर ही था। कांग्रेस के लोग बताते हैं कि अहमद भाई इस नए दफ्तर के इंटीरियर से लेकर निर्माण के हर पहलू पर बारीकी से नजर रख रहे थे। वे कहते थे कि 'यह कोई सामान्य इमारत नहीं, बल्कि देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस का नया हेडक्वार्टर है।'

अहमद पटेल के निधन के बाद कांग्रेस के नए मुख्यालय की जिम्मेदारी वरिष्ठ कांग्रेस नेता पवन बंसल को मिली है। दैनिक भास्कर से बातचीत में पवन बंसल कहते हैं कि 'कांग्रेस के शासनकाल में ही यह नीति बनी थी कि सभी राजनीतिक पार्टियों को दफ्तर लुटियन जोन के सरकारी बंगलों से हटाकर दूसरी जगह शिफ्ट करने होंगे। सरकार ने इसके लिए सभी राजनीतिक दलों को जमीन भी अलॉट की थी। इसका उद्देश्य यह था कि पार्टियों के सभी फ्रंटल ऑर्गेनाइजेशंस को एक साथ एक ऐसी जगह मिले, जहां से वह अपना काम ठीक ढंग से कर सकें।'

क्या नया कांग्रेस दफ्तर बनने में फंड की समस्या है

कांग्रेस दफ्तर में निर्माण कार्य चल रहा है। कहा जा रहा है कि इसे पूरा तैयार होने में अभी एक से डेढ़ साल का वक्त लग सकता है।
कांग्रेस दफ्तर में निर्माण कार्य चल रहा है। कहा जा रहा है कि इसे पूरा तैयार होने में अभी एक से डेढ़ साल का वक्त लग सकता है।

2016 में भाजपा-कांग्रेस के ऑफिस की नींव एक साथ रखी गई थी। फिर कांग्रेस का दफ्तर बनने में इतनी देरी क्यों? आखिर दिक्कत कहां आ रही है? कांग्रेस मुख्यालय के प्रभारी पवन बंसल इस सवाल के जवाब में एक सवाल ही पूछ लेते हैं। वे कहते हैं कि 'डेडलाइंस क्यों निकलती हैं? ज्यों-ज्यों फंड्स उपलब्ध होते जा रहे हैं, वैसे-वैसे काम होता जा रहा है।'

तो क्या फंड जारी होने में कोई दिक्कत है? इस पर वे कुछ भी बोलने से मना कर देते हैं। फिर कहते हैं कि कोरोना महामारी भी देरी की एक बड़ी वजह है, लेकिन शुरू से ही निर्माण कार्य में लगे कुछ लोगों ने इस देरी की वजह कांग्रेस का सुस्त रवैया बताया। नाम न छापने की शर्त पर एक कांग्रेसी कहते हैं कि 'अगर चुस्ती के साथ यह बिल्डिंग बनती तो डेढ़ साल से ज्यादा का वक्त नहीं लगता। लेकिन काम की रफ्तार बहुत धीमी है। पिछले एक साल से तो कांग्रेस का कोई वरिष्ठ नेता यह भी देखने नहीं आया है कि कितना काम हो चुका है।'

क्या भाजपा जैसा ही शानदार होगा कांग्रेस का दफ्तर

क्या कांग्रेस का दफ्तर भी भाजपा जैसा शानदार और आधुनिक तकनीक से लैस होगा? इस पर बंसल कहते हैं कि 'हमारी उनसे कोई तुलना नहीं है। हमने अपना दफ्तर जरूरत के हिसाब से और अपने मौजूदा हालात के हिसाब से तैयार किया है। मैंने अंदर से तो नहीं देखा है, लेकिन सुना है, भाजपा का दफ्तर '7 स्टार डीलक्स बिल्डिंग' जैसा है।'

ये कांग्रेस के निर्माणाधीन दफ्तर के पांचवें फ्लोर की तस्वीर है जहां गार्डन तैयार करने का काम किया जा रहा है।
ये कांग्रेस के निर्माणाधीन दफ्तर के पांचवें फ्लोर की तस्वीर है जहां गार्डन तैयार करने का काम किया जा रहा है।

बंसल बातचीत को दार्शनिक मोड़ देते हुए कहते हैं कि 'जब लोग तुलना करेंगे तो इमारत की नहीं बल्कि पार्टी के काम, विचारधारा और फिलॉसफी की करेंगे। और लोग जब तुलना करेंगे तो उन्हें समझ में आएगा, असली राष्ट्रभक्त कौन है और किसने देश को जोड़ने और किसने तोड़ने का काम किया है? और लोगों को जब यह समझ में आएगा तब लोग बीजेपी हेडक्वार्टर नहीं, यहां आना पसंद करेंगे।'

सात मंजिला इमारत में होगा म्यूजियम, लाइब्रेरी

नया हेडक्वार्टर बनाने के पीछे कोई 'सोच' तो जरूर होगी? इंटीरियर में कुछ खास तरह के प्रयोग भी होंगे? बंसल जवाब में कहते हैं कि 'इस इमारत को देश की एक नामी गिरामी इंटीरियर कंपनी द्वारा डिजायन करवाया गया है। जाहिर सी बात है, इमारत खास ही होगी। यह एक आधुनिक बिल्डिंग होगी, जहां आधुनिकतम टेक्नोलॉजी का प्रयोग होगा। एक ऐसा कॉन्फ्रेंस हॉल होगा, जहां बैठकर हम आमने-सामने या फिर देश के अलग-अलग हिस्सों में काम करने वाले कार्यकर्ताओं से संपर्क साध सकें। एक समृद्ध लाइब्रेरी भी होगी।'

क्या कांग्रेस का दफ्तर आजादी के पहले और बाद का इतिहास भी संजोए होगा? बंसल कहते हैं कि 'म्यूजियम तो होगा ही, लेकिन इतना बड़ा नहीं जैसे कि इंडिपेंडेंट म्यूजियम होते हैं। यहां कांग्रेस की स्थापना, अंग्रेजों के खिलाफ का देश छोड़ो आंदोलन, दांडी यात्रा जैसी ऐतिहासिक घटनाओं की झलक मिलेगी।'

निर्माणाधीन दफ्तर के छत के ऊपर लोहे के पाइप का जाल बिछाया जा रहा है। इस जाल के चारों तरफ स्पाइडर ग्लास का इस्तेमाल किया जाएगा ताकि पूरी इमारत में बराबर रोशनी पहुंचे।
निर्माणाधीन दफ्तर के छत के ऊपर लोहे के पाइप का जाल बिछाया जा रहा है। इस जाल के चारों तरफ स्पाइडर ग्लास का इस्तेमाल किया जाएगा ताकि पूरी इमारत में बराबर रोशनी पहुंचे।

कांग्रेस का नया दफ्तर सात मंजिला होगा। दो मंजिल का बेसमेंट तो पांच मंजिल ऊपर होंगी। बीच में एक बड़ा कॉन्फ्रेंस हॉल और ऑडिटोरियम होगा। मुंबई स्थित आर्किटेक्ट और डिजाइनर हफीज कांट्रैक्टर कांग्रेस के हेडक्वार्टर को डिजायन कर रहे हैं। निर्माणाधीन इमारत की सुरक्षा व्यवस्था अभी से कड़ी है। भीतर जाने की अनुमति किसी को नहीं है। निर्माण कार्य में लगे एक इंजीनियर ने बताया कि 'टॉप फ्लोर से लेकर ग्राउंड फ्लोर तक रोशनी आने के लिए छत के बीच में मोटे-मोटे लोहे के पाइपों का एक लंबा-चौड़ा जाल बनाया जा रहा है। इस जाल के चारों तरफ 'स्पाइडर ग्लास' का इस्तेमाल किया जा रहा है। टॉप फ्लोर की छत पर एक बेहद खूबसूरत गार्डन बनाया जा रहा है।'

क्या पार्टी के चुनाव निशान हाथ के पंजे को कुछ खास तरह से इमारत में डिजायन किया जाएगा, जैसा भाजपा दफ्तर के ग्राउंड फ्लोर में कमल के चिह्न को गार्डन में बेहद खूबसूरती के साथ उभारा गया है? इस सवाल पर बंसल कहते हैं कि 'इंटीरियर डेकोरेटर खास है तो कुछ खास ही करेगा। हालांकि मैं कुछ महीनों पहले ही इसका इंचार्ज बना हूं तो अभी जानकारी हासिल कर रहा हूं। ढांचे की खूबसूरती ठीक है, लेकिन पार्टी के 'प्रतीक चिह्न' को खास बनाता है पार्टी का काम और उसकी विचारधारा।'



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